डोभाल को दिल्ली हिंसा स्थिति नियंत्रित करने की जिम्मेदारी, संभाला मोर्चा

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(एनएसए) अजित डोभाल को दिल्ली हिंसा को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। वह प्रधानमंत्री और कैबिनेट को दिल्ली के हालात के बारे में जानकारी देंगे। डोभाल ने कल रात जाफराबाद, सीलमपुर और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के अन्य इलाकों का दौरा किया था। वहां उन्होंने विभिन्न समुदायों के नेताओं से भी बातचीत की थी।


डोभाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब राजधानी में कानून व्यवस्था की कोई कमी नहीं होगी। पर्याप्त संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी गई है। पुलिस को स्थिति नियंत्रण के लिए खुली छूट दे दी गई है। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में मंगलवार को फिर हिंसा भड़क गई, जहां उपद्रवियों ने पथराव किया, दुकानों में तोड़फोड़, फायरिंग और आगजनी की। कई इलाकों में हालात बेकाबू हो गए, जिसके बाद पुलिस ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया। 


हिंसा में एक हेड कांस्टेबल समेत अब तक 17 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 186 लोग घायल हैं। वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसएस) हालात का जायजा लेने देर रात सीलमपुर डीसीपी कार्यालय पहुंचे। बता दें कि एनएसए डोभाल मंगलवार रात करीब साढ़े 11 बजे सीलमपुर स्थित नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी कार्यालय पहुंचे। यहां पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। डोभाल ने इलाके में मौजूदा हालात के बारे में पुलिस से जानकारी ली। डोभाल ने करीब एक घंटे अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में विशेष कमिश्नर सतीश गोलचा समेत कई अधिकारी शामिल हुए। 


- रात में किया इन इलाकों का दौरा


मीटिंग के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपनी गाड़ी से सीलमपुर, भजनपुरा, मौजपुर, यमुना विहार जैसे हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। आपको बता दें कि पिछले तीन दिनों से उत्तर पूर्वी दिल्ली में जारी हिंसा में अब तक 17 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें एक हेड कांस्टेबल भी शामिल है। 


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एनएच-9 पर मंगलवार रात करीब 9 बजे सड़क के दोनों तरफ लोगों की भीड़ दिखी। ये लोग घरों तक पहुंचने के लिए किसी सवारी के इंतजार में थे। कभी कोई ट्रक उनके पास आकर रुकता तो सैकड़ों की भीड़ एक साथ उस ओर भागती। जिसे उस ट्रक में जानवरों की तरह लदने का मौका मिल गया, वह खुद को खुशकिस्मत महसूस करता है। जिन्हें ट्रक में जगह नहीं मिली, उन्होंने पैदल ही हापुड़ की ओर कदम बढ़ा दिए। कई किलोमीटर तक हाइवे पर केवल लोगों की ही भीड़ देखने को मिल रही है। इन लोगों का कहना है कि रात के वक्त पुलिस का पहरा कम होता है, इसलिए वे पूरे परिवार के साथ घर के लिए निकले हैं।
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